अगर आप सोच रहे हैं कि गुरु नानक देव जी कौन थे और उन्होंने दुनिया को क्या सिखाया, तो इसका जवाब है — वे सिर्फ एक धार्मिक गुरु नहीं, बल्कि मानवता, समानता और सत्य के प्रतीक थे। उन्होंने उस समय समाज को नया रास्ता दिखाया जब लोग जाति, धर्म और भेदभाव में बंटे हुए थे। गुरु नानक देव जी ने सिखाया कि ईश्वर एक है, सभी इंसान समान हैं और सच्चा धर्म है — ईमानदारी से काम करना, दूसरों के साथ बांटना और सच्चाई के मार्ग पर चलना। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे गुरु नानक देव जी का जीवन, उनकी प्रमुख शिक्षाएं, यात्राएं, सिख धर्म की स्थापना और उनकी अमर विरासत के बारे में।
गुरु नानक देव जी कौन थे?
गुरु नानक देव जी (1469–1539) सिख धर्म के संस्थापक और पहले सिख गुरु थे। उनका जन्म 15 अप्रैल 1469 को तलबंडी (वर्तमान में ननकाना साहिब, पाकिस्तान) में हुआ था। बचपन से ही वे गहरी सोच रखने वाले और सत्य की खोज में लगे रहते थे। उन्होंने हमेशा समाज में व्याप्त असमानता और अन्याय का विरोध किया और सच्चे मानव मूल्यों की स्थापना की। गुरु नानक देव जी का जीवन इस विचार पर आधारित था कि सभी मनुष्य समान हैं — चाहे वे किसी भी जाति, धर्म या लिंग के हों। उन्होंने सिखाया कि हर व्यक्ति को ईमानदारी से कमाना चाहिए, दूसरों की सेवा करनी चाहिए और परमात्मा के नाम का सिमरण करना चाहिए।
प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि
| विवरण | जानकारी |
|---|---|
| जन्म तिथि | 15 अप्रैल 1469 |
| जन्म स्थान | तलबंडी (अब ननकाना साहिब, पाकिस्तान) |
| पिता का नाम | मेहता कालू |
| माता का नाम | माता तृप्ता |
| पत्नी | माता सुलखनी |
| पुत्र | श्रीचंद और लखमीदास |
| निधन | 1539, करतारपुर (पाकिस्तान) |
बचपन से ही गुरु नानक देव जी धार्मिक और सामाजिक विषयों पर गहरी रुचि रखते थे। उन्होंने संस्कृत, फारसी और पंजाबी भाषाओं में शिक्षा प्राप्त की। युवावस्था में उन्होंने थोड़े समय के लिए एक व्यापारी के रूप में काम किया, परंतु शीघ्र ही उन्होंने सांसारिक जीवन छोड़कर मानवता की सेवा को अपना उद्देश्य बना लिया। उन्होंने अपने जीवनकाल में ‘उदासियों’ नामक यात्राएँ कीं — जिनमें उन्होंने भारत, तिब्बत, अरब, फारस आदि देशों की यात्रा की और लोगों को समानता, शांति और प्रेम का संदेश दिया।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
15वीं सदी में भारत में सामाजिक असमानता, धार्मिक कट्टरता और जाति-पाति की दीवारें बहुत गहरी थीं। समाज में ऊँच-नीच का भेद और धार्मिक विभाजन लोगों को बाँट रहा था। ऐसे समय में गुरु नानक देव जी ने इस अंधकार में प्रकाश फैलाया। उन्होंने कहा — “ना को हिंदू, ना मुसलमान,” अर्थात इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है। उनका उद्देश्य किसी नए धर्म की स्थापना करना नहीं था, बल्कि एक ऐसा मार्ग दिखाना था जो सच्चाई, सेवा और समानता पर आधारित हो।
गुरु नानक देव जी की प्रमुख शिक्षाएँ
गुरु नानक देव जी की शिक्षाएँ सरल, व्यावहारिक और आज के समय में भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने तीन मुख्य सिद्धांत बताए —
| सिद्धांत | अर्थ |
|---|---|
| नाम जपना | परमात्मा का सदा स्मरण करना और सच्चाई के मार्ग पर चलना |
| किरत करनी | ईमानदारी से मेहनत करके जीवनयापन करना |
| वंड छकना | अपनी कमाई और संसाधनों को दूसरों के साथ बाँटना |
इसके अतिरिक्त उन्होंने यह भी सिखाया कि—
- सभी मनुष्य समान हैं, कोई ऊँच-नीच नहीं।
- स्त्रियों का सम्मान करें, क्योंकि वे भी सृष्टि का समान हिस्सा हैं।
- सत्य बोलें, मेहनत करें और दूसरों की सेवा करें।
- धार्मिक कर्मकांडों से अधिक महत्वपूर्ण है सच्चे मन से जीवन जीना।
सिख धर्म की स्थापना
गुरु नानक देव जी ने सिख धर्म की नींव रखी, जो समानता, सेवा और सत्य पर आधारित है। उन्होंने संगत (साझा उपासना) और लंगर (सामूहिक भोजन) की परंपरा शुरू की। लंगर की विशेषता यह थी कि यहाँ हर धर्म, जाति और वर्ग के लोग एक साथ बैठकर भोजन करते थे — यह समाज में समानता का प्रतीक बना। उन्होंने करतारपुर नगर की स्थापना की, जहाँ लोग मिलजुलकर काम करते, भक्ति करते और एक-दूसरे की सहायता करते थे। बाद में उनके अनुयायियों और उत्तराधिकारियों ने उनकी शिक्षाओं को गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित किया, जो सिख धर्म का पवित्र ग्रंथ है।
गुरु नानक देव जी की यात्राएँ (उदासियाँ)
गुरु नानक देव जी ने चार प्रमुख उदासियाँ कीं, जिनमें उन्होंने भारत के विभिन्न हिस्सों, नेपाल, तिब्बत, फारस (ईरान), मक्का और मदीना जैसे स्थानों की यात्रा की।
उनका उद्देश्य था —
- विभिन्न धर्मों के लोगों से संवाद करना।
- अंधविश्वास और धार्मिक भेदभाव को खत्म करना।
- सच्चाई और सेवा का संदेश फैलाना।
इन यात्राओं के दौरान उन्होंने जो भजन और उपदेश दिए, वे आज भी गुरबाणी के रूप में पूजनीय हैं।
गुरु नानक देव जी की विरासत और प्रभाव
गुरु नानक देव जी का देहांत 22 सितंबर 1539 को करतारपुर में हुआ। लेकिन उनकी शिक्षाएँ और विचार आज भी जीवित हैं। उनकी दी हुई सीखों ने न केवल सिख धर्म की नींव रखी बल्कि पूरे मानव समाज को बेहतर जीवन जीने की प्रेरणा दी। हर साल गुरु नानक जयंती के रूप में उनका जन्मदिन श्रद्धा और प्रेम से मनाया जाता है। उनकी शिक्षाओं से प्रेरणा लेकर आज भी लाखों लोग निस्वार्थ सेवा, समानता और प्रेम का मार्ग अपनाते हैं।
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निष्कर्ष
गुरु नानक देव जी केवल एक धार्मिक गुरु नहीं थे, बल्कि एक महान सामाजिक सुधारक, दार्शनिक और मानवतावादी थे। उन्होंने सिखाया कि सच्चा धर्म इंसानियत में है — सत्य बोलना, मेहनत से जीवन जीना और सबके साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार करना। आज के समय में जब समाज फिर से विभाजन और स्वार्थ की ओर झुकता दिख रहा है, गुरु नानक देव जी की शिक्षाएँ हमें याद दिलाती हैं कि— “सच्चा मार्ग वही है जो सबको जोड़ता है, बाँटता नहीं।”
गुरु नानक देव जी के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
गुरु नानक देव जी कौन थे?
गुरु नानक देव जी सिख धर्म के संस्थापक और पहले सिख गुरु थे। उन्होंने समानता, सत्य, सेवा और ईमानदारी का संदेश दिया।
गुरु नानक देव जी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को तलबंडी (वर्तमान ननकाना साहिब, पाकिस्तान) में हुआ था।
गुरु नानक देव जी के माता-पिता का नाम क्या था?
उनके पिता का नाम मेहता कालू और माता का नाम माता तृप्ता था।
गुरु नानक देव जी ने सिख धर्म की स्थापना कब की?
गुरु नानक देव जी ने 15वीं सदी के उत्तरार्ध में सिख धर्म की नींव रखी, जो समानता, सेवा और सत्य पर आधारित है।
गुरु नानक देव जी की यात्राओं को क्या कहा जाता है?
उनकी यात्राओं को “उदासियाँ” कहा जाता है, जिनके दौरान उन्होंने भारत, तिब्बत, फारस और अरब देशों में जाकर मानवता और शांति का संदेश फैलाया।






