क्या आप जानते हैं कि भारत की सबसे पुरानी गुफा चित्रकला कहां पाई जाती है? इसका जवाब है — मध्य प्रदेश के भीमबेटका की गुफाएं, जहां आज भी हजारों साल पुरानी इंसानी रचनात्मकता पत्थरों पर जीवित है। इन गुफाओं की दीवारों पर बने चित्र हमें उस समय में ले जाते हैं जब इंसान ने पहली बार अपने विचारों और जीवन को रंगों में उकेरा था। ये सिर्फ कला नहीं, बल्कि हमारे पूर्वजों की कहानी हैं — उनके जीवन, संस्कृति और प्रकृति से जुड़ाव का प्रमाण।
गुफा चित्रकला मानव सभ्यता के सबसे शुरुआती कलात्मक प्रयासों में से एक मानी जाती है। दुनिया की कई जगहों पर यह कला पाई गई है — जिनमें इंडोनेशिया की 45,000 साल पुरानी पेंटिंग भी शामिल है। लेकिन भारत भी इस सांस्कृतिक विरासत में पीछे नहीं है। यहां की प्राचीन गुफाएं न सिर्फ ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि हमारी संस्कृति और आध्यात्मिकता के गहरे प्रतीक हैं।
तो चलिए जानते हैं — भारत की 7 सबसे पुरानी गुफा चित्रकलाएं कहां स्थित हैं, और वे हमें क्या बताती हैं।
भारत की सबसे पुरानी गुफा चित्रकलाओं की सूची
| रैंक | गुफा चित्रकला स्थल | राज्य | अनुमानित समय | कलात्मक परंपरा / नोट्स |
|---|---|---|---|---|
| 1 | भीमबेटका की चट्टानी गुफाएं | मध्य प्रदेश | 30,000 साल | पुरापाषाण, मध्यपाषाण और ऐतिहासिक काल |
| 2 | अजंता की गुफाएं | महाराष्ट्र | दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व – 5वीं शताब्दी ईस्वी | बौद्ध भित्ति चित्र, जातक कथा दृश्य |
| 3 | एलोरा की गुफाएं | महाराष्ट्र | 6वीं शताब्दी ईस्वी के बाद | हिंदू, बौद्ध, जैन विषय |
| 4 | एलीफेंटा की गुफाएं | महाराष्ट्र | 5वीं से 9वीं शताब्दी ईस्वी | शिव मंदिर, धुंधले भित्ति चित्र |
| 5 | जोगीमारा की गुफाएं | छत्तीसगढ़ | तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व – पहली शताब्दी ईस्वी | जनजातीय, गैर-धार्मिक कला |
| 6 | बाघ की गुफाएं | मध्य प्रदेश | 5वीं से 7वीं शताब्दी ईस्वी | बौद्ध भित्ति चित्र, मठ जीवन के दृश्य |
| 7 | सित्तनवासल गुफा | तमिलनाडु | 7वीं – 9वीं शताब्दी ईस्वी | जैन मठ की कला, प्रकृति व जलीय चित्र |
भीमबेटका की चट्टानी गुफाएं — भारत की सबसे पुरानी गुफा चित्रकला
मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित भीमबेटका की गुफाएं भारत की सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण गुफा चित्रकला स्थल मानी जाती हैं। यहां करीब 30,000 साल पुरानी पेंटिंग्स मिली हैं, जो इंसान के विकास की कहानी को चित्रों के माध्यम से बयान करती हैं। यह स्थान यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है।

भीमबेटका की 750 से अधिक गुफाओं की दीवारों पर लाल, सफेद, पीले और हरे रंगों से बने चित्र पाए गए हैं। इनमें शिकारी-संग्राहकों का जीवन, जानवरों का शिकार, नृत्य, त्योहार और सामुदायिक गतिविधियां दिखाई देती हैं। सबसे खास बात यह है कि इन चित्रों की कई परतें हैं — यानी अलग-अलग कालखंडों में लोग यहां बसते रहे और अपनी कला को उन्हीं दीवारों पर दर्ज करते गए।
अजंता की गुफाएं — बौद्ध कला की भव्य विरासत

महाराष्ट्र की अजंता गुफाएं अपनी अद्भुत बौद्ध भित्ति चित्रों और मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध हैं। ये चित्र दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर 5वीं शताब्दी ईस्वी के बीच बनाए गए थे। 29 गुफाओं के इस परिसर को पहाड़ों को काटकर बनाया गया था, जो बौद्ध मठों और पूजा स्थलों का समूह है। यहां के चित्र बुद्ध के जीवन, जातक कथाओं और उस युग के सामाजिक जीवन के सुंदर चित्रण करते हैं। आज अजंता भी यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में सुरक्षित है।
एलोरा की गुफाएं — धर्मों की एकता का प्रतीक

महाराष्ट्र के औरंगाबाद के पास स्थित एलोरा गुफाएं धार्मिक विविधता की मिसाल हैं। यहां 34 गुफाएं हैं — जिनमें बौद्ध, हिंदू और जैन धर्म से जुड़ी कलाकृतियां शामिल हैं। 6वीं शताब्दी ईस्वी के बाद निर्मित इन गुफाओं में भव्य भित्ति चित्र, मूर्तियां और नक्काशी देखने को मिलती है। सबसे प्रसिद्ध कैलाश मंदिर है, जिसे एक ही चट्टान को काटकर बनाया गया था।
एलीफेंटा की गुफाएं — शिव की पवित्र नगरी

मुंबई के पास एलीफेंटा द्वीप पर स्थित ये गुफाएं 5वीं से 9वीं शताब्दी ईस्वी के बीच बनाई गईं। यहां मुख्य रूप से भगवान शिव को समर्पित पत्थर काटकर बनाए गए मंदिर हैं। दीवारों पर बने चित्र आज धुंधले हो चुके हैं, लेकिन जो अवशेष बचे हैं, वे इस स्थल के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाते हैं। यहां का प्रमुख आकर्षण त्रिमूर्ति शिव मूर्ति है, जो भारतीय मूर्तिकला की उत्कृष्ट कृति मानी जाती है।
जोगीमारा की गुफाएं — भारत की सबसे पुरानी गैर-धार्मिक कला

छत्तीसगढ़ के रामगढ़ क्षेत्र में स्थित जोगीमारा गुफाएं तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व की मानी जाती हैं। इन गुफाओं की खासियत यह है कि इनमें धार्मिक विषय नहीं बल्कि आम लोगों के जीवन के दृश्य हैं — जैसे नाचते-गाते लोग, जानवर, और खेलकूद के दृश्य।
दीवारों पर लाल, पीले, काले और सफेद रंगों से बनी ये चित्रकला बताती है कि कला केवल धर्म नहीं, बल्कि रोजमर्रा की संस्कृति का हिस्सा थी।
बाघ की गुफाएं — बौद्ध मठों का जीवंत संसार

मध्य प्रदेश की बाघ गुफाएं 5वीं से 7वीं शताब्दी के बीच बनीं। ये 9 चट्टानों को काटकर बनाई गईं गुफाएं मूल रूप से बौद्ध भिक्षुओं के रहने और ध्यान करने के स्थान थे। यहां के चित्र बोधिसत्व और मठ जीवन के सुंदर दृश्य दर्शाते हैं। मिट्टी और चूने की परत पर बनाए गए ये चित्र अजंता की कला से काफी मिलते-जुलते हैं।
सित्तनवासल गुफा — जैन परंपरा की कलात्मक झलक

तमिलनाडु की सित्तनवासल गुफा 7वीं से 9वीं शताब्दी ईस्वी की मानी जाती है और यह जैन मठ परंपरा से जुड़ी है। यहां की दीवारों पर कमल के तालाब, मछलियां, पक्षी और प्रकृति के बीच मनुष्यों के चित्र हैं, जो जीवन और आध्यात्मिकता का सुंदर मेल दिखाते हैं। यह कला पांड्य राजवंश की संरक्षण में विकसित हुई थी।
भारत की सबसे पुरानी गुफा चित्रकला कहां है?
भारत की सबसे प्राचीन गुफा चित्रकला भीमबेटका की गुफाओं में पाई जाती है, जो लगभग 10,000 ईसा पूर्व, यानी करीब 12,000 साल पुरानी हैं। यहां के चित्र शुरुआती शिकारी-संग्राहकों के जीवन के सजीव दृश्य दिखाते हैं — जैसे जानवरों का शिकार, धनुष-बाण का प्रयोग और नृत्य समारोह।
भारत में पहली खोजी गई गुफा
आधुनिक समय में सबसे पहले व्यापक रूप से पहचानी जाने वाली प्राचीन गुफाएं थीं — महाराष्ट्र की अजंता गुफाएं। इन्हें 1819 में ब्रिटिश अधिकारी कैप्टन जॉन स्मिथ ने अपने शिकार अभियान के दौरान खोजा था। यह खोज भारतीय कला इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई।
दुनिया की सबसे पुरानी गुफा चित्रकला
दुनिया की सबसे पुरानी ज्ञात चित्रकला इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप की लियांग टेडोंगन्गे गुफा में मिली है। यहां एक जंगली सूअर का चित्र पाया गया, जिसकी आयु कम से कम 45,500 साल मानी गई है। हाल की खोजों में एक और पेंटिंग 51,200 साल पुरानी बताई गई है, जो दुनिया की सबसे प्राचीन कथा चित्रकला मानी जाती है।
तमिलनाडु में 10,000 साल पुरानी पेंटिंग
तमिलनाडु के येलागिरी पर्वत श्रृंखला के पास रेड्डियूर गांव में एक गुफा में 10,000 साल पुरानी चित्रकला मिली है। इन चित्रों में मनुष्यों और जानवरों के समूह, शिकार और नृत्य के दृश्य हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, ये नवपाषाण युग की रचनाएं हैं और दक्षिण भारत की सबसे पुरानी सांस्कृतिक झलक देती हैं।
निष्कर्ष
भारत की गुफा चित्रकलाएं केवल इतिहास नहीं, बल्कि हमारे पूर्वजों की जीवनगाथा हैं। भीमबेटका से लेकर अजंता और सित्तनवासल तक — हर गुफा एक कहानी कहती है, जो इंसान की जिज्ञासा, विश्वास और रचनात्मकता की अमर मिसाल है।
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